सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 – SURROGACY (REGULATION) BIL
1 सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 के मुख्य तत्त्व1.1 जिन उद्देश्यों से सरोगेसी की अनुमति होगी, वे हैं –1.2 जिन उद्देश्यों से सरोगेसी की अनुमति नहीं होगी, वे हैं –2 सरोगेसी चाहने वाले जोड़े के लिए निर्धारित योग्यता3 सरोगेसी के लिए चुनी हुई माँ के लिए अर्हता3.1 सक्षम अधिकारी3.2 सरोगेसी चिकित्सालयों का पंजीकरण4 राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्ड4.1 सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे के लिए किये गये प्रावधान4.2 सरोगेसी (विनियमन) विधेयक के अंतर्गत अपराध और दंड का प्रावधान4.3 Surrogacy (Regulation) Bill की आवश्यकता क्यों?
पिछले दिनों सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 लोक सभा ध्वनिमत से पारित हो गया है.

सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 के मुख्य तत्त्व
विधेयक में प्रस्ताव है कि सरोगेसी को विनियमित करने के लिए केन्द्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्यों के स्तर पर राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित किये जाएँ.विधेयक का लक्ष्य सरोगेसी को प्रभावशाली ढंग से विनियमित करना, वाणिज्यिक सरोगेसी का प्रतिषेध करना और नैतिकतापूर्ण सरोगेसी की अनुमति देना है. कहने का अभिप्राय है कि एक ओर जहाँ मानव भ्रूण और जननकोशों के क्रय-विक्रय को निषिद्ध किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर पहले से तय की गई शर्तों पर उन जोड़ों को सरोगेसी की अनुमति दी जाएगी जिनको इसकी आवश्यकता है.सरोगेसी (विनियमन) विधेयक के अनुसार सरोगेट माताओं और सरोगेसी से उत्पन्न बच्चों को शोषण से बचाया जाएगा.विधेयक के प्रस्ताव का कोई वित्तीय निहितार्थ नहीं है क्योंकि राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्ड की बैठकों में होने वाले खर्च का वहन सम्बंधित विभागों के प्रशासनिक बजट से ही होगा.विधेयक में यह प्रावधान भी है कि यदि किसी सामान्य यौन व्यवहार वाले (हेट्रोसेक्सुअल) विवाहित जोड़े को विवाह के पश्चात् पाँच वर्ष तक बच्चा नहीं हुआ है तो वह अपने किसी निकट के रिश्तेदार को सरोगेट बना सकता है.
जिन उद्देश्यों से सरोगेसी की अनुमति होगी, वे हैं –
बाँझ जोड़ों के लिएपरोपकार के लिएउन जोड़ों के लिए जो नियमावली में वर्णित किसी रोग से पीड़ित हैं
जिन उद्देश्यों से सरोगेसी की अनुमति नहीं होगी, वे हैं –
वाणिज्यिक उद्देश्य के लिएबिक्री और वेश्यागमन अथवा किसी भी प्रकार के शोषण हेतु बच्चे उत्पन्न करने के लिए
सरोगेसी चाहने वाले जोड़े के लिए निर्धारित योग्यता
जो जोड़ा सरोगेसी चाहता है उसके पास सक्षम अधिकारी द्वारा निर्गत ये दो प्रमाणपत्र होने चाहिएँ –
अत्यावश्यकता प्रमाणपत्र (certificate of essentiality)अर्हता प्रमाणपत्र (certificate of eligibility)
अत्यावश्यकता प्रमाणपत्र इन शर्तों पर निर्गत होगा –
सरोगेसी चाहने वाले जोड़े में से एक अथवा दोनों के बाँझ होने का प्रमाणपत्र जो जिला चिकित्सा बोर्ड निर्गत करेगा.किसी मजिस्ट्रेट के न्यायालय से पारित अभिभावकत्व एवं सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे की संरक्षा से सम्बंधित आदेश.सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे के लिए प्रसूति से सम्बंधित जटिलताओं सहित 16 महीने की बीमा.
अर्हता प्रमाणपत्र इन शर्तों पर निर्गत होगा –
सरोगेसी चाहने वाले जोड़े जो भारतीय नागरिक और कम से कम पाँच वर्ष विवाहित होना चाहिए.पति की उम्र 26 से 55 और पत्नी की उम्र 23 से 50 होनी चाहिए.उनके कोई जीवित बच्चा (अपना, अथवा अथवा सरोगेसी उत्पन्न) नहीं होना चाहिए.यदि जोड़े का कोई जीवित बच्चा मानसिक अथवा शारीरिक रूप से विकलांग है या जीवन घातक रोग से पीड़ित है तो उस जोड़े को सरोगेसी की अनुमति मिल सकती है.ऐसी शर्तें जो नियमावली में वर्णित की जाएँ.
सरोगेसी के लिए चुनी हुई माँ के लिए अर्हता
उसे सरोगेसी चाहने वाले जोड़े का नजदीकी रिश्तेदार होना चाहिए.वह ऐसी विवाहित महिला हो जिसके अपने बच्चे हैं.उसकी उम्र 25 से 35 के बीच होनी चाहिए.उसने सरोगेसी जीवन में पहले कभी नहीं की हो.उसके पास सरोगेसी के लिए आवश्यक चिकित्सकीय और मनोवैज्ञानिक रूप से सक्षम होने का प्रमाणपत्र होना चाहिए.सरोगेसी के लिए चुनी हुई महिला अपने ही प्रजनन कोष (gametes) को सरोगेसी के लिए नहीं दे सकती है.
सक्षम अधिकारी
विधेयक के अधिनियम बनने के 90 दिन के भीतर केंद्र और राज्य सरकारें एक अथवा अधिक सक्षम अधिकारियों की नियुक्ति करेंगी.
सरोगेसी चिकित्सालयों का पंजीकरण
सरोगेसी का काम वही चिकित्सालय कर पायेंगे जो किसी सक्षम अधिकारी द्वारा पंजीकृत हों. सक्षम पदाधिकारी की नियुक्ति की तिथि से 60 दिनों के भीतर चिकित्सालय को पंजीकरण के लिए आवेदन देना होगा.
राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्ड
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारें क्रमशः राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित करे
ंगी.
राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड का कार्य होगा –
सरोगेसी से सम्बंधित नीतिगत मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देनासरोगेसी चिकित्सालयों के लिए आचार संहिता बनानाराज्य सरोगेसी बोर्ड के कार्यकलाप का पर्यवेक्षण करना.
सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे के लिए किये गये प्रावधान
सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे को सम्बंधित जोड़े का अपना बच्चा माना जाएगा.यदि किसी कारणवश ऐसे बच्चे का गर्भपात कराना पड़े तो इसके लिए सरोगेसी देने वाली महिला की सहमति के साथ-साथ इसके लिए सक्षम अधिकारी की अनुमति आवश्यक होगी.इसके लिए निर्गत प्रमाणपत्र चिकित्सकीय गर्भपात अधिनयम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) के अनुरूप होना चाहिए.सरोगेसी देने वाली महिला के पास यह विकल्प होगा कि वह उसकी कोख में भ्रूण (embryo) स्थापित होने के पहले सरोगेसी से मना कर दे.
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक के अंतर्गत अपराध और दंड का प्रावधान
वाणिज्यिक सरोगेसी के लिए विज्ञापन देनासरोगेसी देने वाली माँ का शोषणसरोगेसी से उत्पन्न बच्चे को छोड़ देना, उसका शोषण करना अथवा उसे अपना नहीं माननासरोगेसी के लिए भ्रूण अथवा प्रजनन कोष को बेचना या उसका आयात करना.
इन अपराधों के लिए 10 वर्ष तक कारावास और 10 लाख रु. तक का अर्थदंड होगा.
SURROGACY (REGULATION) BILL की आवश्यकता क्यों?
दूसरे देशों के जोड़ों के लिए भारत एक सरोगेसी बाजार के रूप में उभर रहा है. इस प्रसंग में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें अनैतिक प्रचलन अपनाए जा रहे हैं, सरोगेट माताओं का शोषण हो रहा है, सरोगेसी से उत्पन्न बच्चों को त्याग दिया जा रहा है तथा बिचौलिए मानव भ्रूणों और जननकोशों के आयात का धंधा चला रहे हैं. भारतीय विधि आयोग ने अपने 228वें प्रतिवेदन में यह सुझाव दिया है कि सरोगेसी के वाणिज्यिक प्रयोग पर रोक लगाया जाए और उपयुक्त कानून बनाकर नैतिकतापूर्ण सरोगेसी को अनुमति दी जाए.
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