अचानक पढ़ाई रुक जाए तब क्या करें..............
किसी भी कार्य का लगातार होते रहना सहजता पर निर्भर करता है यानी मानसिक भावों के अनुकूल होने पर निर्भर करता है अतः किसी काम के रुकने का मतलब है कि एक भाव के स्थान पर दूसरा भाव प्रबल हो गया है अब जब तक इस भाव को बदला नही जाएगा पढ़ाई का पुनः जारी होना मुश्किल होगा। पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी में कमी बहुत से कारकों की वजह से पैदा हो जाती है। जब हमारे लिए कोई काम कठिन हो जाता है या हमें उसे करने में मानसिक संतुष्टि नही मिलती है तब पढ़ाई जारी रख पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मानसिक पटल पर भाव परिवर्तन हो जाता है और पढ़ाई रुक जाती है।इस स्थिति से तभी बाहर आया जा सकता है जब या तो बाह्य स्रोत से कोई संतुष्टि मिले जैसे कि किसी कुशल व्यक्ति से कोई सहायता या मार्गदर्शन या अपने दृष्टिकोण को ही बदला जाए
ऐसा होने पर फ़िर से भाव परिवर्तन हो सकता है और पढ़ाई फ़िर शुरू हो सकती है। यदि कोई चीज़ रुक रही है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि मन के भाव में परिवर्तन हुआ है और कोई नकारात्मक भाव प्रबल हो गया है ऐसे में प्रभावित व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी समस्या का विभिन्न दृष्टिकोणों से विश्लेषण करे यदि समस्या किसी अकुशलता की वजह से है तो सम्बंधित क्षेत्र में दूसरों की मदद ले या सरल माध्यमों से उस समस्या को दूर करे। कभी कभी ऐसा होता है कि कुछ बातें किसी भी विषय की केंद्रीय होने के कारण जटिल होती है ऐसे में समस्या का सामना करना पड़ता है और मन पढ़ाई से हटने लगता है। या कभी कभी हमें ऐसा लगने लगता है कि मैं इस मामले में बहुत कमज़ोर हूँ इसलिए मेरा सफ़ल हो पाना बहुत मुश्किल है। इस सोच से भी पढ़ाई से मन हटने लगता है। इस तरह पढ़ाई रोकने वाले बहुत से कारक हो सकते हैं। कभी कभी आपसी रिश्तों में आई दरार भी पढ़ाई को रोक देती है। धन की कमी या विभिन्न अभाव भी मन के उत्साह को कम कर देते हैं। अतः ख़ुलासा यह है कि पढ़ाई रोकने वाले कारक विविध होते हैं और मन पर हावी हो जाते हैं। इनसे निपटने का तरीक़ा भी विविध होता है।इंसान को चाहिए कि वह अपनी बेचैनी या असहजता के कारण को तलाशे और उसी के अनुसार उपाय करे
कभी कभी उपाय अवधि में धैर्य भी रखना पड़ता है क्योंकि कुछ उपाय ऐसे होते हैं जो अचानक प्रभावी नही होते हैं बल्कि थोड़ा समय लगता है ख़ासकर कुशलता अर्जित करने वाले उपाय।
Neelesh mishra
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