कभी कभी सोचते हैं..., कि कब तक..., आखिर कब तक..., इस छोटे से बल्ब की रोशनी के नीचे बैठकर..., “लुंसेन्ट और करेन्ट अफेयर्स” की किताबों के पन्ने पलटते रहेंगे...,
दस-दस बारह बारह घण्टे कब निकल जाते हैं..., कब सूरज निकलता है..., कब डूबता है..., पता ही नहीं चलता...,
समझ नहीं आता इतना डेडिकेट होते हुए भी..., किस्मत कौनसी दुशमनी निकाल रही है..., 😓
लोगों का “आजकल क्या कर रहे हो ?” वाला प्रश्न...,
"चाणक्य को दिए घनानंद के जवाब” की तरह लगता है...,
अब समझ आता है कि..., जब समय और परिस्थितिया वश में न हो तो..., कैसे मन मारकर सब कुछ सहना पड़ता है..., 😊
सिर्फ "लगें हैं" कहकर लोगों से पीछा छुड़ाना पड़ता है..., 😔
जिंदगी एक अंतहीन मंजिल की और..., थके - हारे कदमों से खींचे ले जा रही है...,
लेकिन जब घर वालों की उम्मीद भरी नजर..., पड़ोसियो की खिल्ली उड़ाती नज़र देखते हैं तो...,
फिर से किताबों में डूब जाते हैं..., 😊
ये सोचकर कि भाग्य हमारे प्रति इतना भी निर्दयी नहीं हो सकता..., 💛
जब इंसान एवरेस्ट फतह कर गया...,मंगल पर पहुँच गया..., चाँद को भी नाप दिया...,
तब क्या हममें इतना भी सामर्थ्य नहीं..., कि हमसे एक मामूली से सरकारी नौकरी की परीक्षा पास नहीं...?
होगी..., होगी..., अवश्य होगी..., 😊
वो समय एक बार आएगा जरूर..., जब सब कुछ अपने पक्ष में होगा..., 💛
आज नहीं तो कल वो वक्त आएगा..., जब किसी रिजल्ट में एक नाम अपना भी होगा..., 💛
बस थोड़े से सब्र की आवश्यकता है...,
आज का ये अंधेरा..., एक दिन उजाले में अवश्य बदलेगा..., 🔥😊
✍🏻 *Exam G*💛
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