असफ़लता आखिर है क्या?
जब एक व्यक्ति असफ़ल हो जाता है, तब असफलता के उपरांत अल्पकाल के लिए मनुष्य में क्रोध का भाव रहता है, यह क्रोध स्वयं के प्रति भी हो सकता है, जमाने के प्रति भी हो सकता है, किस्मत के लिए भी हो सकता है,सिस्टम के ख़िलाफ़ भी हो सकता है, परिस्थितियों के ख़िलाफ़ भी हो सकता है...
क्रोध रहता है... यह क्रोध उस व्यक्ति के शरीर में एक ऊर्जा उत्पादित करता है... उस ऊर्जा को कुछ व्यक्ति सकारात्मक तो कुछ व्यक्ति नकारात्मक रूप से व्यय कर देते हैं...
चिड़चिड़ापन, आइलैंड व्यवहार(एकांत में रहना), तनाव व अवसादग्रस्त होने...
जैसे लक्षण ऊर्जा के नकारात्मक व्यय के हैं... यह उस व्यक्ति के लिए बहुत नुकसानदेह होते हैं....यह व्यवहार भविष्य के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है....
अतः इस प्रकार के व्यवहार से हमें बचना चाहिए... इसके बचाव का एक ही रास्ता है कि आप स्वयं को सकारात्मक रखने का पूरा प्रयास करें... कोई एक परिणाम आपकी योग्यता को न सिद्ध करता है, और न ही प्रश्नचिह्न लगाता है...
कुछ लोग असफलता के बाद उत्तपन्न ऊर्जा का उपयोग सकारात्मक तरीक़े से करते है... दुगुने जोश के साथ नवीन लक्ष्य को लेकर पुनः लग जाते हैं...
जब असफल हो, तब असफलता के समय मनोमस्तिष्क में उपजे तेज़ और त्वरित विचारों को एक पृष्ठ पर लिखना चाहिए .. उसके बाद नवीन निर्धारित लक्ष्य को उसी पृष्ठ पर लिख देना चाहिए ... फिर जब कभी ठंडे पड़ जाओ, अभिप्रेरणा की कमी हो तब उस पृष्ठ को पुनः पढ़ना ..
यक़ीनन फायदा होगा...☺️ आजकी असफलता को जो भुनाएगा, उन्हीं व्यक्तियों का आने वाला कल सफ़लताओं से भरा हुआ होगा... ।
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