_*घनघोर प्रतिस्पर्धा में जब आप खुद को थका महसूस कर रहे तब यह अत्यावश्यक हो जाता है कि आस्तिक बनें। गांधीजी कहते थे कि सत्याग्रही का ईश्वर में विश्वास जरूरी है। कठिन समय में आपकी आस्था बहुत मदद करती है। युवा अभ्यर्थी दिनचर्या में प्रभु सुमिरन, पूजा स्थल भ्रमण अवश्य शामिल करें, इससे आपके कर्मयोग में ईश्वर का आदेश शामिल हो जाता है। कुछ भी मनुष्य के सामर्थ्य से परे नहीं है क्योंकि कर्म सबके मार्ग खोल देता है। और कर्म सिर्फ मनुष्य कर सकता है। देव को भी जब कर्म करना होता है तब मनुष्य रूप में जन्म लेना पड़ता है। परन्तु प्रकृति को समझे,*_
_*यहाँ वही आगे बढ़ेगा जो दूसरे को परास्त कर देगा। यही शास्वत सत्य है। किसी भी कृत्रिमता से इस सत्य को नहीं बदल सकते।*_
............... by NEELESH MISHRA
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