#MOTIVATIONAL STORY
# बुद्धिमान_राजा ....... # जरूर_पढ़ें
*सलेक्शन चाहते हैं तो ये कहानी जरुर पढ़ें, लंबी जरूर है लेकिन जिंदगी बदल जाएगी
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_एक राज्य में एक रिवाज था. राज्य में राजा की नियुक्ति सिर्फ पांच साल के लिए ही होती थी. राजा के गद्दी संभालने के पांच साल बाद नए राजा का चुनाव होता था. पुराने राजा को राज्य की नदी के उस पार जंगल में भेज दिया जाता. नए राजा का दिल से स्वागत-सत्कार किया जाता और दूसरे को जंगल में विदा कर दिया जाता. पुराना राजा जंगल में दो-चार दिन डरा-डरा सा, सहमा हुआ घूमता. बाद में किसी जंगली जानवर का शिकार हो जाता।_
_गांव में नए राजा की नियुक्ति की भी अजीब प्रथा थी. गांव के सभी लोग उस दिन इक्कठ्ठे होते और हाथी की सूंड में फूलों का हार थमा देते. हाथी जिसे उस हार को पहनाता वो शख्स अगले पांच साल तक जंगल का राजा चुन लिया जाता।_
_पद मिलने के बाद राजा बना शख्स फूला नहीं समाता और अगले पांच साल तक जमकर भोग-विलास करता. इतनी भव्यता और ऐश-ओ-आराम के बाद जब पांच साल बाद उसे जंगल जाने के लिए भेजा जाता तो वो जाने के लिए तैयार नहीं होता. लेकिन परंपरा के मुताबिक उसे जबरदस्ती रस्सी से बांधकर, घसीटकर, मार-पीटकर खुंखार जानवरों से भरे जंगल में छोड़ दिया जाता।_
_सालों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक एक राजा का पांच साल का राजकाज खत्म हुआ. राजपाट के आखिरी दिन उसे पकड़ने के लिए सिपाही आए. जब सिपाही राजा को बांधने के लिए आगे बढ़े तो राजा ने बिना डरे पूरे रुआब से उन्हें रूक जाने का आदेश दिया. राजा का कांफिडेंस देखकर सैनिक सहम गए. सैनिक कुछ कहते उससे पहले ही राजा ने कहा कि वो एक राजा है और राजा की तरह ही ठाट-बाट से वो घने जंगलों में जाएगा।_
_हर पांच साल बाद जब राजा कि विदाई का वक्त आता था तो पूरे गांव के लोग उसे रस्सी से बंधा हुआ देखते थे. हैरान परेशान. जान बचाने की भीख मांगते हुए, रोते चिल्लाते हुए, गिड़गिड़ाते हुए. लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा था कि राजा रोब से हाथी पर बैठकर गांव से विदा हो रहा था. सैनिकों के बीच गर्व से चलता राजा गर्व से मुस्कुरा रहा था।_
_नदी के उस पार जाने के लिए नाव भी तैयार थी. राजा को नाव में बैठाया गया. मुस्कुराते हुए राजा को देखकर नाव वाला भी उलझन में पड़ गया. नाव जब बीच नदी में पहुंची तब नाविक ने राजा से पूछा, "महाराज आप तो बहुत खुश लगते हैं, यह देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है. आप को उस घने जंगल से डर नहीं लगता है?"_
_तब गंभीर मुद्रा में राजा ने नाविक से जो बात कही वो बेहद ही मार्के की है. राजा ने कहा, "आखिर तुमने मुझे थोड़ा-सा पहचाना तो सही. देखो भाई, जिस दिन हाथी ने मेरे गले में हार डाला उस दिन मुझे दिल ही दिल में खुशी तो हुई पर पहले ही दिन से मुझे पांच साल के बाद मेरी हालत क्या होने वाली है वो दिखाई देने लगी थी". इसलिए पहले दिन से ही मैंने अगले पांच साल के बाद की प्लानिंग शुरु कर दी थी._
_पहले साल मैंने अपने मंत्री को भेजकर मजदूरों के जरिए पूरा जंगल साफ करवा दिया. दूसरे साल नए राज्य के निर्माण का आदेश दिया और राजमिस्त्री को वहां भेज दिया. उन्होंने मेरे लिए बेहतरीन महल तैयार कर दिया. गांव के लोगों के लिए भी नए घर मैंने वहां पर बनवाए. तीसरे साल नगर के अच्छे और ज्ञानी लोगों को सपरिवार वहां रहने के लिए भेजा. चौथे साल लोगों को कारोबार करने लिए वहां भेजकर कारखाने लगवाए. आज पांच साल खत्म हो चुके हैं मेरा नया नगर भी बनकर तैयार है. आज एक राज्य ने मुझे विदा किया तो दूसरा राज्य मेरे स्वागत के लिए तैयार है।_
_इस राज्य में परंपरा के मुताबिक राजा आए. पांच साल तक ऐश-ओ-आराम में डूबे रहे, पर भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचा. अंत में दु:ख भोगते हुए, दुनिया पर दोष मढ़ते हुए इस दुनिया से विदा हो गए।_
*ये कहानी आपके लिए क्यों जरुरी है?*
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_ये कहानी कंपटिशन की तैयारी करनेवाले हर छात्र पर बिल्कुल फिट बैठती है. जिस दिन आपने तैयारी के लिए मन बनाया समझ लीजिए उसी दिन आप राजा बन गए, लेकिन स्थायी तौर पर क्योंकि जबतक आप सलेक्ट नहीं होगे आप राजसी ठाट-बाट के हकदार नहीं होंगे. आपको तैयारी के दौरान कोई कष्ट ना हो इसके लिए आपके मां-बाप ने पेट काटकर आपको पढ़ने का मौका दिया है. अब ये आपके हाथ है कि आप मां-बाप से मिले पैसे का इस्तेमाल कैसे करते हैं? दूसरे छात्रों की तरह तैयारी के दौरान घर से मिले पैसों को ऐशो-आराम, दोस्ती-यारी और फालतू की कोचिंगों पर उड़ाते हैं या फिर प्लानिंग करके भविष्य की तैयारी करते हैं।_
_कंपटिशन की तैयारी के दौरान अगर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने और दूसरों की तरह बिना किसी प्लानिंग के तैयारी करेंगे तो लाखों छात्रों की तरफ असफल होकर डिप्रेशन में चले जाएंगे. वक्त रहते होश में आ जाइए. समय बीतने में समय नहीं लगता. लेकिन अगर सही रणनीति और टाइम मैनेजमेंट के साथ आगे बढ़ोंगे तो बुद्धिमान राजा की तरह जिंदगी भर राज करेंगे!_
NLS
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